Programming Language(प्रोग्रामिंग भाषाए)
जैसा कि हम सब जानते है Computer एक Electronic Device है जिस वजह से Computer हमारी सामान्य बोल-चाल की भाषा मे लिखे गये प्रोग्रामो को तो वह समझ सकता नही है इसलिये Computer के लिये कुछ अलग प्रकार के Program जो Computer समझ सके वह प्रोग्रामिंग भाषा लिखी गयी है | Computer की इन भाषाओ का अपना एक ग्रामर होता है जो Program लिखते समय उनका पालन करना होता है |Computer के इस Technology के दौर मे सैकडो भाषाये है जो Computer वProgrammer के बीच सम्पर्क बनाती है Computer वही कार्य करता है जो Programmer के माध्यम से निर्देषित किया होता है किसी प्रोग्राम को बनाते समय प्रोग्राम मे Coding की जाती है और कोडिंग के अनुरूप ही प्रोग्राम बनता है व Program Run करता है |
Computer के माध्यम से Work को कराने के लिये अलग-अलग प्रकार की Computer प्रोग्रामिग का विकास हुआ है जिनमे से कुछ इस प्रकार है |
Type of Programming Languages (प्रोग्रामिंग भाषाओ के प्रकार)
Programming Languages (प्रोग्रामिंग भाषा)
मशीनी भाषाये असेम्बली भाषाये विधि अभिमुखी भाषाये समस्या अभिमुखी भाषाये
Low Level Language (निम्न स्तरीय भाषाये)
ये भाषाये Computer के Internal कार्य-प्रणाली के अनुसार होती है |इन भाषा मे लिखे गये Program की running Speed बहुत Fast होती है क्योकि Computer इसके निर्देश का पालन सीधे करता है और इस भाषा की प्रोग्राम की मेंन विशेषता यह है कि इस भाषामे लिखा गया प्रोग्राम एक ही Computer पर चल सकता है दूसरे पर नही चलाये जा सकते है |Example- मशीनी भाषाये and असेम्बली भाषाये |
Machine Languages (मशीनी भाषाये):-Machine Languages बाइनरी अंको से बनी प्रोग्रामिंग भाषा होती है,इस भाषा का Use First Generation के Computer मे होता था और Machine Language मे प्रोग्राम लिखना बहुत कठिन होता है क्योकि इनका प्रत्येक निर्देश 0 और 1 के रूप मे श्रृंखला मे होता था Machine Language मे लिखे प्रोग्राम की गलतियो को Search करना और उनका Correction काफी कठिन होता है |
Assembly Language (असेम्बली भाषा):- Assembly Language पूरी तरह Machine Languages पर आधारित होता है लेकिन इसमे 0 और 1 की श्रृंखलाये न होकर अंग्रेजी के कुछ अक्षरो and some गिने-चुने शब्दो को Code के रूप मे Use किया जाता है Assembly Language मे लिखे गये प्रोग्रामो का अनुवाद असेम्ब्लर की किया जाता है और इसमे Program लिखना, उनकी त्रुटियो का पता लगाना व संशोधन करना काफी आसान होता है |
High Level Language (उच्च स्तरीय भाषा)
High Level Language मे जो प्रोग्राम लिखे जाते है उनमे English के कुछ चुने शब्दो व गणित मे Use होने वाले कुछ साधारण चिन्ह होते है इस भाषा मे प्रोग्राम लिखना,गलतियो का पता लगाना, उन को सुधारना Low Level Language की तुलना मे काफी आसान होता है | High Level Language मे लिखे प्रोग्रामो को Compiler याInterpreter के माध्यम से मशीनी भाषा मे अनुवाद कराना पड्ता है |
Note- कम्पाइलर (Compiler) एक प्रोग्रामिंग Set-Up है जो एक बार मे ही पूरे प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा मे कर देता है |
इंटरप्रेटर (Interpreter) यह अलग प्रकार का प्रोग्रामिंग Set-Up है ये केवल एक कथन या निर्देश का अनुवाद ही मशीनी भाषा मे कर पाता है |
High Level Language को दो प्रकारो मे बाटा गया है-
(1.) विधि अभिमुखी भाषाये (Procedure Oriented Languages):-जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इस Language मे किसी प्रोग्राम को करने से पहले पूरी विधि लिखा जाता है और Program प्राय: एल्गोरिथिम(Algorithm) पर आधा रित होते है | इस प्रोग्रामिंग भाषा को Third Generation की प्रोग्रामिंग भाषा भी कहा जाता है | Example- BASIC, FORTRAN, PASCAL, C, FOXPRO आदि कुछ विधि अभिमुखी भाषाये है |
(2.) समस्या अभिमुखी भाषाये (Problem Oriented Languages):- ये ऐसी High Level Language है जिनमे प्रोग्राम विधि न लिखकर हमे बताया जाता है कि हमे क्या आउटपुट चाहिए | समस्या अभिमुखी भाषा को Forth Generation प्रोग्रामिंग भाषा भी कहा जाता है | इनमे किसी समस्या को Solve करने से पहले ही कुछ विधिया होती है जिन्हे आवश्यकतानुसार Use किया जाता है | Example:- VISUAL BASIC, VISUAL’C’ ORACLE, SQL आदि कुछ समस्या अभिमुखी भाषा के उदाहरण है |
Some Important High Level Languages (कुछ महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय भाषाये)